बंधन चाहने से बंधन मिलता है और मुक्ति चाहने से भी बंधन ही मिलता है || आचार्य प्रशांत (2016)

2019-11-29 3

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१३ अप्रैल २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
अपनी मजबुरी को हम स्वीकार करना क्यों नहीं चाहते है?
अपना छोटापन को स्वीकार करना क्यों नहीं चाहता हूँ?
बंधन चाहने से बंधन मिलता है और मुक्ति चाहने से भी बंधन ही मिलता है

Free Traffic Exchange

Videos similaires